Wednesday, 25 April 2018

दूज का उत्सव - श्री यमुना जी धर्मराज की जय



श्री यमुना जी धर्मराज की जय
विश्व का एक मात्र भाई-बहन का प्राचीन मंदिर श्री यमुना जी धर्मराज का मंदिर है। जो कि मथुरा में विश्राम घाट पर यमुना के किनारे पर स्थित है। बताते है कि आज से हजारो वर्षो पूर्व से यहाँ पर अपनी बहन यमुना से मिलने यमराज आये हैं यहाँ अभी हम इनको यमराज कह कर सम्बोधन कर रहे हैं। बाद मैं यही धर्मराज के रूप जानें जाते हैं। ये दोनों सूर्य नारायण के जुड़मा सन्तान (पुत्र-पुत्री) हैं। इनकी माता का नाम संध्या हैं बताया जाता हैं की संध्या पर अपने पति का नारायण का तेज़ सहन ना कर पाने पर घोड़ी के रूप मैं भाग जाती हैं बाद मैं जब आती हैं छाया के रूप मैं हो जाती हैं तब उनसे शनिदेव महाराज का जन्म होता हैं। दोनों पुत्रो को नारायण ने दंड देने का कार्य सौपा है शनिदेव महाराज ढैया-साढ़े साती के रूप मैं आपना न्याय करते हैं और दण्ड देते हैं मरण के उपरांत हमारी आत्मा को दण्ड देने का कार्य यमराज करते हैं। यमराज जो की बहुत भयानक नाम हैं और आत्मा को भयानक भयानक यातना देने का कार्य दिया जाता हैं। यमराज ही चित्र गुप्त के खाता देखने पर हमारा कर्मो के हिसाब से स्वर्ग या नर्क का मार्ग कर्म अनुसार सुनाते हैं। यमराज जी के यमलोक का वृतांत गरुण पुराण मैं दर्शाया गया हैं। बताते हैं आज से वर्षो पूर्व विश्रामघाट-मथुरा मैं जब यमराज जी कार्तिक मॉस मैं शुक्ल पक्ष मैं दीवाली के बाद दूज आती हैं उस दिन यहाँ पर आते हैं तो यमुना चतुर्भुज स्वरुप मैं प्रगट होती हैं एक हाथ मैं भोजन थाली और दूसरे हाथ मैं कमल का फूल हैं और एक हाथ से अपने भाई के तिलक और अन्य चतुर्थ भुजा से वरदान प्राप्त कर रही हैं ,यमराज अपनी बहिन यमुना जी के आतिथ्य से प्रसन्न होते है और    वर  माँगने को कहते है तब यमना जी कहती हे की मै श्री कृष्ण की पटरानी हूँ मेरे यहाँ किसी वस्तु की कमी नहीं है अगर आप को कुछ देना है तो ये वर दो की जो भी मेरे अंदर स्नान करेगा वो तेरे लोक ना जाकर सीधा स्वर्ग जाए नर्क न जाए यमराज अपनी बहन से कहते है कि बहन तुम ने तो मेरा सर्वस माँग लिया आप तो यमनोत्री से बह रही हो संगम मे एवं समुंदर में मील रही हो जाने अनजाने कोई भी स्नान करेगा तो मेरा लोक सुना हो जाएगा बहन तूने तो मेरा सर्वस माँग लिया, आज के दिन अर्थात भाईदोज वाले दिन जो भी भाई बहिन तुम्हारे अंदर स्नान करेगा वो नर्क न जा कर सीधा स्वर्ग जाएगा, तभी से यहाँ देश विदेश से लाखो श्रदालु  विश्रामघाट पर आ कर सभी भाई बहिन हाथ पकड़ कर स्नान करेंगे वो सीधे स्वर्ग जायगे। नर्क नहीं जाएगे तभी से ये कहते है की यमुना मैया ने अपने भाई यमराज से धर्म का कार्य करवाया तभी से यमराज जी का नाम धर्मराज पड़ गया।
इसी कथा से प्रेरित होकर ब्रज वासियों में एक लोकगीत भी प्रचलित हैं। 

यमराज तैने जीत लियो जय जय यमुना मईया। 
मथुरा के विश्राम घाट पर नहावें बहन और भईया।
  
इसी धारणा के अनुसार तभी से भाई दूज का उत्सव बड़ी धूम धाम से बनाया जाता हैं।
श्री यमुना जी धर्मराज की जय 

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