।। ॐ ।।
श्री महागणपतये नमः
।। श्री ललितांबिकाये नमः ।।
माँ राजराजेश्वरी श्रीललिताम्बा षोडशी श्रीविद्या महात्रिपुरसुँदरी
श्रीचक्र एक यन्त्र है जिसका प्रयोग श्री विद्या में होता है। इसे 'श्री यंत्र', 'नव चक्र' भी कहते हैं। यह सभी यंत्रो में शिरोमणि है और इसे 'यंत्रराज' कहा जाता है। वस्तुतः यह एक एक जटिल ज्यामितीय आकृति है। इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी भगवती माँ राजराजेश्वरी श्रीललिताम्बा षोडशी श्रीविद्या महात्रिपुरसुँदरी हैं। श्री यंत्र की स्थापना और पूजा से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। नवरात्रि, धनतेरस के दिन श्रीयंत्र का पूजन करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
श्री यंत्र के केन्द्र में एक बिंदु है। इस बिंदु के चारों ओर 9 अंतर्ग्रथित त्रिभुज हैं जो नवशक्ति के प्रतीक हैं। इन नौ त्रिभुजों के अन्तःग्रथित होने से कुल ४३ लघु त्रिभुज बनते हैं।
प्रार्थना खड्गमाला शब्द विद्या श्रीविद्याउपासना यज्ञशाला - श्रीतंत्र साधना
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