Thursday, 25 July 2019

पञ्चदेव उपासना करने का विधान

पञ्चदेव उपासना के संदर्भ में कहा गया है - 'उपगम्य असनम् इति उपासना' अर्थात् भगवान की उपासना से तात्पर्य भगवान के समीप जाकर बैठने से है। यहां 'समीप बैठना' वैध इष्ट होने से यह शब्द भगवान की परिचर्या व पूजा के अर्थ में परिवर्तित हो जाता है।
पञ्चदेव उपासना

हमारे हिंदू धर्मग्रंथों में पंचदेवों की उपासना करने का विधान मिलता है। हर हिंदू को चाहिये कि वह पंचदेवों की आराधना अनिवार्य रूप से करे। भगवान के इन पांचों स्वरूपों में से किसी एक की भी उपेक्षा होने से पूजन अधूरा ही रहता है।  ये पंचदेव हैं - गणेश जी , विष्णु जी , शिव जी, दुर्गा जी एवं सूर्य जी। इन पंच देवों में भी ऐक्य(एकत्व) है अर्थात् ये एक ही परमेश्वर की पांच प्रमुख शक्तियां हैं। इन पंच देवों के आराधन से परमेश्वर की अन्य शक्तियों की आराधना भी स्वतः ही हो जाती है क्योंकि वे भी इनकी ही अंगभूता शक्ति हैं। पूजा
स्थल के सिंहासन में अपने  इष्ट को मध्य में रखने से ये पंचायतन पाँच तरह के होते हैं: 

श्री गणेश पंचायतन में देवताओं के मध्य गणेश जी स्थित होते हैं। 

१-श्री गणेश पंचायतन का मंत्र है- श्रीगणेशविष्णुशिवदुर्गासूर्येभ्यो नमः। 

यदि आपके इष्ट गणेश हैं तो आप अपने पूजागृह में "गणेश पंचायतन" की स्थापना के लिए सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में शिव, मध्य में गणेश, नैर्ऋत्य कोण में सूर्य एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।

२-श्री विष्णु पंचायतन का मंत्र है- श्रीविष्णुशिवगणेशसूर्यदुर्गाभ्यो नमः। 

पूजागृह में 'विष्णु पंचायतन' की स्थापना करने के लिए सिंहासन के ईशान कोण में शिव, आग्नेय कोण में गणेश, मध्य में विष्णु, नैर्ऋत्य कोण में सूर्य एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।

३-श्री शिव पंचायतन का मंत्र है- श्रीशिवविष्णुसूर्यदुर्गागणेशेभ्यो नमः। 



पूजागृह में 'शिव पंचायतन' की स्थापना के लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में सूर्य, मध्य में शिव, नैर्ऋत्य कोण में गणेश एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।


४-श्री दुर्गा पंचायतन या देवी पंचायतन का मंत्र है- श्रीदुर्गाविष्णुशिवसूर्यगणेशेभ्यो नमः।

पूजागृह में 'देवी पंचायतन' की स्थापना करने के लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में विष्णु, आग्नेय कोण में शिव, मध्य में दुर्गा (देवी), नैर्ऋत्य कोण में गणेश एवं वायव्य कोण में सूर्य विग्रह को स्थापित करें।

५-श्री सूर्य पंचायतन का मंत्र है- श्रीसूर्यशिवगणेशदुर्गाविष्णुभ्यो नमः। 

पूजागृह में 'सूर्य पंचायतन' की स्थापना करने के लिए आप सिंहासन के ईशान कोण में शिव, आग्नेय कोण में गणेश, मध्य में सूर्य, नैर्ऋत्य कोण में विष्णु एवं वायव्य कोण में देवी विग्रह को स्थापित करें।

सम्भव हो तो किसी विशेष पर्व पर उस पर्व से जुड़े देव के पंचायतन के अनुसार व्यवस्था करनी चाहिए जैसे गणेश चतुर्थी पर गणेश पंचायतन नवरात्रि पर देवी पंचायतन शिवरात्रि पर शिव पंचायतन इत्यादि.. 
इस प्रकार उपरोक्त में से किसी एक प्रकार के पंचायतन के अनुसार विग्रहों को व्यवस्थित करके उस पंचायतन से संबंधित मन्त्र से भगवान की उपासना करनी चाहिए।

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