
|| श्री यमुना जी धर्मराज की जय ||
हमारा इस जगत मैं जो भी अस्तित्व हैं वह माता पिता गुरु की देन हैं | क्यों की इस मानव शरीर का निर्माण तथा विकास माता पिता करते है तथा इस शरीर में रहने वाली आत्मा का बिकास गुरकरते हैं तथा इस रहस्य को समझ लिया उसे बिकास करने से कोई भी रोक नहीं सकता संपूर्ण विश्ब में जो भी बिकास या सफलताएं देखाई दे रही है वे सभी मानव द्वारा कृत्य हैं | दुर्भाग्यवश मनुस्य उन्हें हीभूल जाता हैं | जिसकी बजह से वह स्वयं अस्तित्व मैं आया हैं |
यदि मनुस्य केवल संसार मैं केवल माता - पिता, गुरु को प्रसन्न कर ले तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता | जैसे-जैसे आप इन तीनो देवो को मानाने, प्रसन्न करने का प्रयास शुरू करेंगे वैसे-वैसे सफलता के राश्ते अपने आप खुलना शुरू हो जायेगे और जितना आप उन्हें अपने हृदय मैं उतारते जाएगे उतना ही आप एक सफल व्यक्तित्व के रूप मैं प्रकाशित होते जायेगे |
इस विश्व के स्वामी भगवान राम आपने माता-पिता, गुरु की सेवा मैं अर्पित रहते थे |
प्रातः काल उठके रघुनाथा, माता-पिता, गुरु नावहि माथा |
No comments:
Post a Comment