Sunday, 7 January 2018

पोपा बाई की कथा

एक पोपा बाई थी| वह नियम व्रत बहुत करती थी एक दिन अपने भाई - भाभी से बोली की में शादी नहीं करुँगी मेरी झोपड़ी ग्राम के बाहर बनवा दो और ग्राम की स्त्रीरो से कहा की आप अपनी गाय और बछड़े मेरे यहाँ चरने के लिए भेज दिया करो बचा खुचा खाना मुझे भेज दिया करो, एक दिन नगर का राजा शिकार खेलने जंगल मे गया जंगल मे झोपड़ी देखकर वही रुख गया और बोला कि इस झोपड़ी में कौन रहता है? जब अंदर से कोई आवाज नहीं सुनाई दी तो वह बारम्बार दरबाज़ा खटखटाने लगा तब पोपाबाई उठी और बोली कि कौन हैं जो मेरे द्वार पर आवाज़ दे रहा है पोपा बाई ने कहा कि जहाँ से आये हो बही चलें जाओ में पराये पुरुष का मुँह नहीं देखती | राजा जबरदस्ती पोपा बाई को उठाकर ले जाने लगा रास्ते मैं पोपा बाई ने राजा को शाप दिया की उसका सारा राज पाठ नष्ट हो जायेगा जब वह नगर मैं पंहुचा तो रानियाँ कहने लगी की आप इसको वापस उसकी झोपड़ी मैं छोड़ आओ राजा जब पोपा बाई को छोड़ने गया तो रास्ते मैं पाप की नदी आई राजा उस पाप की नदी मैं डूब गया पोपा बाई धर्मराज के यहाँ पहुँची तो धर्मराज जी ने पोपा बाई को स्वर्ग का राज दे दिया | एक बार एक सेठ सेठानी मृत्यु लोक से स्वर्ग को सिधारे | प्रवेश करने के लिये स्वर्ग का द्वार बंद देखकर उन्होने धर्मराज को द्वार खोलने का आग्रह किया तब धर्मराज जी ने कहा :इस द्वार पर पोपा बाई का राज हैं | सेठ सेठानी ने कहा की हम पोपा बाई को नहीं जानते | तब धर्मराज जी ने कहा की सात दिन मृत्यु लोक मैं जाकर आठ खोपरा (गोला/ नारियल) मैं राई भरकर पांचो कपडे ऊपर रख कहानी सुनकर उद्द्यापन करें और कहे कि राज हैं पोपा बाई का हिसाब लेगी राई - राई का | 
|| बोलिये पोपा बाई कि जय ||

No comments:

Post a Comment