Tuesday, 23 January 2018

                                               मन्त्र पुष्पांजलिः                                                                  ॐ  यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवस्तानि  धर्माणी प्रथमान्यसन।  ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः  सन्ति देवः। ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य  साहिने। नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।। स में कामान  कामकामय महियम। कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु।।कुवेराय वैश्रवणाय। महाराजाय नमः।। ॐ स्वस्ति  साम्राज्यं भौज्यं   स्वराज्यं वैराज्यं परमेष्ठयं राज्यं  महाराज्यमाधिपत्यमयं समन्तपर्यायै स्यात।। सार्वभौंमः सार्वायुष आन्तादापरार्धात। पृथिव्यै समुद्रपर्यन्ताया एकराडिति।  तदप्येष श्लोकोsभिगीतो मारुतः  परिवेष्टारो मरुतस्या वसन गृहे।। आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति।।ॐ विश्व- तश्चक्षुरुत विश्वतोमुखो  विश्वतोबहुरुतविश्वतस्पात।संबाहुभ्यांधमतिसम्पतत्रे ध्यावाभूमि जनयन्देव  एकः।। महालक्ष्मी च विदमहे सर्वशक्त्यै  च धीमहि।  तन्नो देवी प्रचोदयात।।     

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